जीवन को विषाद नहीं, प्रभु का प्रसाद बनाएँ: राष्ट्र-संत ललितप्रभ मंगलवार को खुश रहने के सबसे अचुक मंत्र
बेंगलुर
03 Jul 2017
राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ महाराज ने कहा कि हमारा जीवन प्रभु का प्रसाद बेवजह मानसिक तनाव पाल कर इसे विषाद न बनाएँ। जिंदगी एक बाँसुरी है। उसमें दुख रूपी छेद तो बहुत सारे हैं पर जिसको बाँसुरी बजानी आ जाती है वह उन छेदों में से भी मीठा संगीत पैदा कर लेता है।
वे यहाँ मराठा हॉस्टल मैदान में आयोजित सतावन दिवसीय प्रवचनमाला में दूसरे दिन 1 घंटे में सीखे जीवन जीने की कला विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जिंदगी जलेबी की तरह होती है। यह टेढ़ी-मेढ़ी जरूर होती है पर मुस्कान की चासनी अगर हम लगाते रहेंगे, तो यह भी सबको मधुर लगेगी।
जिंदगी एक गजब की परीक्षा है। जब परीक्षा की जिंदगी खतम हो जाती है, तो जिंदगी की परीक्षा होनी शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि जिंदगी में हर किसी को अहमियत दीजिए। विश्वास रखिए, जो अच्छे होंगे वे आपका साथ देंगे और जो बुरे होंगे वे आपको सबक देंगे।उन्होंने कहा कि जिंदगी में सदा खुश रहिए, गम को भूला दीजिए। न खुद रूठिए, न दूसरों को रूठने का अवसर दीजिए। खुद भी हँसकर जीने की कोशिश कीजिये और दूसरों को भी हँसकर जीना सिखा दीजिये।
राष्ट्र-संत ने श्रद्धालुओं को प्रेरणा देते हुए कहा कि कभी भी पीपल के पत्तों जैसा मत बनिए, जो वक्त आने पर सूखकर गिर जाते हैं। जिंदगी में हमेशा मेहन्दी के पत्तों की तरह बनिए, जो खुद घिसकर भी दूसरों की जिंदगी
में रंग भर देते हैं। उन्होंने कहा कि मारी जिंदगी तस्वीर भी है और तकदीर भी। अगर इसमें अच्छे रंग मिलाओगे, तो तस्वीर सुन्दर बन जाएगी और अच्छे कर्म करोगे तो आपकी तकदीर सँवर जाएगी।